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लेखनी कहानी -04-Jan-2023

जय माँ शारदे
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
शुभ्र भव्यता के संग,
 सारी ओस दीन्ही रंग,
 अरुण की अरुणिमा,
   लिए आई लाली है।

भव्य भोर खग शोर,
    मचता है चहुँ ओर,
    सुमन सजीले सजे,
    छाई खुशहाली है।

द्वारे सजी अल्पनाएँ
 गीत गाती कल्पनाएं,
 मंदिरों की घंटियां भी,
    स्वरित निराली है।

मन का मयूर नाचे,
   सुख चहुँ ओर नाचे,
    खुशी हर द्वार सजे,
    कामना ये पाली है।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
          
होने लगे मंत्रोचार,
सुरभित हो बयार,
   कोकिला उचारे बैन,
    जानो भोर हो गयी।

उषा भी बिखेरे लाली,
सजे आरती की थाली,
    वंदनाये होने लगे,
    मानो रात्रि सो गयी।

गौए जो रंभाने लगे,
बछड़े बुलाने लगे,
भव्य भोर की किलोल,
  चित चोर हो गयी।

गुरु पितु मातु पूजा,
 और नही पुण्य दूजा,
 इनकी कृपा से खुशी,
  आत्म त्राण हो गयी।   
     
-अभिलाषा देशपांडे

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6 Comments

Renu

05-Jan-2023 06:40 AM

👍👍🌺

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Sushi saxena

04-Jan-2023 10:39 PM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

04-Jan-2023 10:32 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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